Does Islam command to kill dogs? Response to a blogger
Written by Ibn Muhammad
एक हिन्दू ब्लॉग पर कुछ दिन पहले एक लेख मेरी नज़र से गुज़रा जिसमें इस महामूर्ख ब्लॉगर ने कई हदीसों को पेश किया था जिन में पैगम्बर हज़रत मुहम्मद (सलल.) ने कुत्तों को मारने का आदेश दिया था। प्रमाण के तोर पर उसने सही बुखारी जिल्द 4 किताब 54 हदीस 540 की हदीस पेश की जो इस प्रकार है
“अब्दुल्लाह इब्न उमर ने कहा, कि अल्लाह के रसूल ने कुत्तों को मारने का आदेश दिया”
यह महामूर्ख यदि अपनी थोड़ी सी बुद्धि इस्तेमाल करता तो समझ जाता कि इस् हदीस में रसूलल्लाह (सलल.) द्वारा किसी विशेष परिस्थिति में दिए गए एक आदेश को संक्षेप में दोहराया गया है। इस से यह समझ लेना कि हज़रत मुहम्मद (सलल.) का यह आदेश सब प्रकार के कुत्तों को लिए था और हर समय के लिए था, इस हिन्दू का हदीस विद्या से अपरिचित होना दर्शाता है। कई बार एक हदीस में कोई बात संक्षेप में बयान होती है और अन्य किसी हदीस में विस्तार से। अल्लाह के पैगम्बर के इस आदेश का अवश्य उस समय कोई कारण रहा होगा। अन्य हदीसों के अध्ययन पता चलता है कि वास्तव में पैगम्बर (सल्लाल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने हानिकारक कुत्तों के बारे में यह आदेश दिया था या फिर कुत्तों में कोई बीमारी उत्पन्न हुई होगी। उदाहरण के लिए देखिए, सही बुखारी जिल्द 3 किताब 29 हदीस 54, जिसमें الكلب العقور (काटने वाले पागल कुत्ते) को मारने की अनुमति दी गई है।
यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि अरबी भाषा में كلب क़ल्ब (कुत्ते) का शब्द भेड़िये, लकड़बग्घे, जंगली कुत्ते, यहाँ तक कि शेर पर भी लागू होता है। इस दृष्टिकोण से देखें तो भी बात समझ में आती है। काट कर या चीर-फाड़ कर नुक़सान पहुँचाने वाला कुत्ता, या जिसमें दाउल कलब नामी रोग होता है, और इसी के समान आक्रमण और भयभीत करके हानि पुँचाने वाला कुत्ता, तो इसे इस प्रकार क़त्ल करने में कोई आपत्ति की बात नहीं है कि उसका नुक़सान अहानिकारक कुत्तों तक न पहुँचे।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि पवित्र कुरआन में शिकारी कुत्तों की प्रशंसा करते हुए कहा गया
يَسْأَلُونَكَ مَاذَا أُحِلَّ لَهُمْ ۖ قُلْ أُحِلَّ لَكُمُ الطَّيِّبَاتُ ۙ وَمَا عَلَّمْتُمْ مِنَ الْجَوَارِحِ مُكَلِّبِينَ تُعَلِّمُونَهُنَّ مِمَّا عَلَّمَكُمُ اللَّهُ ۖ فَكُلُوا مِمَّا أَمْسَكْنَ عَلَيْكُمْ وَاذْكُرُوا اسْمَ اللَّهِ عَلَيْهِ
वे तुमसे पूछते है कि “उनके लिए क्या हलाल है?” कह दो, “तुम्हारे लिए सारी अच्छी स्वच्छ चीज़ें हलाल है और जिन शिकारी जानवरों को तुमने सधे हुए शिकारी जानवर के रूप में सधा रखा हो – जिनको जैस अल्लाह ने तुम्हें सिखाया हैं, सिखाते हो – वे जिस शिकार को तुम्हारे लिए पकड़े रखे, उसको खाओ और उसपर अल्लाह का नाम लो। [सूरह माइदह 5; आयत 4]
इन सब प्रमाणों से स्पष्ट होता है कि पैगम्बर (सलल.) ने हर प्रकार के कुत्तों को मारने का आदेश नहीं दिया बल्कि एक विशेष परिस्थिति में विशेष प्रकार के कुत्तों की बारे में आदेश दिया।
वेद में पशुओं के मारने के आदेश
मुझे आश्चर्य होता है कि यह हिन्दू बिना अपने धार्मिक ग्रंथ पढे हुए इस्लाम पर बकवास करने चल पड़ते हैं। ज़रा कभी अपने प्रिय ग्रन्थों का भी अध्ययन करते तो यह बेहूदा आक्षेप इस्लाम पर न करते। सुनिए इनके पवित्र वेदों में क्या लिखा है।
अक्ष्यौ च ते मुखं च ते व्याघ्र जम्भयामसि ।
आत् सर्वान् विंशतिं नखान् ॥
बाघ की आँखें, मुख और उसके बीस नाखून हम नष्ट करते हैं। [अथर्ववेद काण्ड 4; सूक्त 3; मंत्र 3]
व्याघ्रं दत्वतां वयं प्रथमं ।
आदु ष्टेनमथो अहिं यातुधानमथो वृकम ॥
दांतवाले प्राणियों में से पहले बाघ का और साँप का और भेड़िये का, चोर और लुटेरे का हम नाश करते हैं। [मंत्र 4]
मूर्णा मृगस्य दन्ता अपिशीर्णा उ प्रुष्टयः
निम्रुक ते गोधा भवतु नीचायच्छाशयुर्मृगः
हिंसक पशुओं के दाँत तोड़े जाएँ और पसलियाँ काटी जाएँ। सब हिंसक मृग को नीचे बांध लो और दमन करो। [मंत्र 6]
कहो जी यह कैसी शिक्षा है?