General

वेदों में परिवर्तन संक्षिप्त विश्लेषण

0
(0)

वेदों में परिवर्तन (संक्षिप्त विश्लेषण)

by Ibn Muhammad

हिन्दू धर्म के विद्वानों और विशेष रूप से आर्य समाज का ये दावा है की वेद सृष्टि के आदि काल से इस धरती पर हैं और इनमें आज तक कोई परिवर्तन नहीं हुआ है और वेद पूरी तरह से सुरक्षित हैं  इसी दावे को हमने परखने का प्रयत्न किया और आपके सामने अपने परिणाम प्रस्तुत करते हैं .

असल वेद खो गया

महाभारत के शांति पर्व, भाग ३४८ में एक अजीब किस्से का उल्लेख मिलता है जिसमें दो दानव वेदों को ब्रह्मा जी से चुरा कर समुद्र में कूद जाते हैं. इन दो दानवों के नाम मधु और कैतभ बताये गए हैं. वेदों को चोरी होता देख ब्रह्मा जी परेशान होकर मातम करते हैं. बाद में विष्णु जी के व्यक्तिगत हस्तक्षेप से वेद दोबारा वसूल किये जाते हैं. ये किस्सा इस बात की पुष्टि करता है की वेद पहले दिन से ही असुरक्षित हैं. अगर ब्रह्मा जी ने वेदों को याद करलिया होता तो वेद कैसे चोरी होसकते थे? अगर वेद लिखित रूप में चोरी हो भी जाते तब भी कुछ नहीं बिगड़ता. खैर होसकता है की ब्रह्मा जी की याददाश्‍त उतनी शक्तिशाली नहीं थी.

वेद हैं कितने?

सनातन धर्मी पंडितों के अनुसार वेद ११३१ हैं, जैसे पतंजलि ऋषि साफ़ लिखते हैं

एकशतम् अध्वर्युशाखाः सहस्रवर्त्मा सामवेदः एकविंसतिधा बाह्वृच्यम् नवधा आथर्वणः वेदः

एक सौ एक शाखाएं यजुर्वेद की हैं, हज़ार प्रकार के सामवेद हैं, इक्कीस प्रकार के ऋग्वेद और नौ प्रकार के अथर्ववेद हैं. ये सब कुल ११३१ बनते हैं.

इन ११३१ शाखाओं में से आज केवल ११ उपलब्ध हैं.  स्वामी दयानंद जी ११३१ के आंकड़े को मानते हैं लेकिन इनमें से केवल ४ को मूल वेद मानते हैं और बाक़ी ११२७ को उनकी व्याख्या . [देखो सत्यार्थ प्रकाश ; समुल्लास  ७ ]

ये विचार सही नहीं है और इसका कोई प्रमाण नहीं. जिन चार वेदों को वो मूल वेद बताते  हैं वे स्वयं शाखाएं हैं. वर्तमान ऋग्वेद शाकल शाखा कहलाता है. मध्यन्दिन शाखा को आर्य समाज ने यजुर्वेद का नाम दिया है. शौनक शाखा को अथर्ववेद.  यदि ये कहा जाये की शाखाएं वेद की व्याख्या हैं तो इसका मतलब होगा की मूल वेद खो गए हैं.  ये भी याद रखये की वर्तमान वेदों को कहीं भी उनकी अपनी संहिता में वेद नहीं कहा गया है. ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद, ये शब्द वेदों में कहीं नहीं मिलते .

यजुर्वेद दो तरह का है, कृष्ण यजुर्वेद और शुक्ल यजुर्वेद. कृष्ण यजुर्वेद दक्षिण भारत में प्रसिद्ध है और शुक्ल यजुर्वेद उत्तर भारत में. शुक्ल यजुर्वेद का दूसरा नाम वाजसनेयि संहिता है  और इसके ४० अध्याय हैं. इसी संहिता की दो शाखाएं मिलती हैं, मध्यन्दिन और काण्व. इन दो प्रकार के याजुर्वेदों में कोन मूल है और कोन व्याख्या?  बहरहाल, ये बात तो स्पष्ट है की वेदों की एक बोहत बड़ी संख्या खो गयी है और वेद सुरक्षित नहीं रह पाए हैं.

लापता मंत्र

वर्तमान ऋग्वेद शाकल्य ऋषि ने जमा किया था. इसी लिए इसको शाकल संहिता कहते हैं और  इस के १० मंडल हैं जिसके कारण इसको दशती भी कहा जाता है. यास्क आचार्य के ज़माने में भी ऋग्वेद के कई संस्करण होगये थे. निरुक्त ७:८ में लिखा है

ऋग्वेद के एक मंत्र में अग्नि और विष्णु को एक संयुक्त भेंट चढ़ाई गयी हे

लेकिन वर्तमान ऋग्वेद में ये मंत्र कहीं नहीं मिलता.  इस से सिद्ध होता है कि ऋग्वेद में फेरबदल हुए हैं.

यजुर्वेद में परिवर्तन

यजुर्वेद की दो शाखाओं में काफी अंतर है. पहला मंत्र दोनों में कुछ भेद के साथ समान है.  इस के बाद  अध्याय १५ तक मन्त्रों में काफी अंतर है. शुक्ल यजुर्वेद के अध्याय ३९ के मंत्र कृष्ण यजुर्वेद में गायब हैं.  शुक्ल यजुर्वेद का अध्याय ४० एक उपनिषद् है, जिसको ईश उपनिषद् कहते हैं. आर्य समाज के अनुसार उपनिषद्  कोई भी श्रुति नहीं है. फिर यजुर्वेद में इस उपनिषद् को कैसे मिलाया गया?

न केवल ईश उपनिषद्, बल्कि इस वाजसनेयि संहिता में ब्रह्मण ग्रंथों को भी मिलाया गया है. अध्याय २४ सारा ब्रह्मण है. अध्याय ३०, ७ से अंत तक सब ब्रह्मण हैं, मंत्र नहीं.

गायत्री परिवार एवं आर्य समाज के यजुर्वेद भाष्यों की तुलना करने से पता चलता है की इन दोनों में काफी अंतर है.  उदाहरण के लिए देखए अध्याय २५. गायत्री परिवार के छापे यजुर्वेद में ४७ मंत्र हैं जबकि आर्य समाज भाष्य में मंत्र ४८ भी मिलाया गया है.


देखिये गायत्री परिवार संस्करण

देखिये आर्य समाज संस्करण

 

Don’t forget to share this post

 

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 0 / 5. Vote count: 0

No votes so far! Be the first to rate this post.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button